जाति का विनाश हो…..

(समाज वीकली)

जाति का विनाश हो।
हर आदमी ही, खास हो।
योग्यता की बात हो।
देश का विकास हो।
जाति का विनाश हो।

जाति का प्रजाति से।
प्रजाति का उपजाति से।
आदमी का आदमी से।
सहज, संबंध, बिंदास हो।
जाति का विनाश हो।

जाति में ही जाति का।
गर्व, कोढ़ है छिपा।
कोढ़ बढ़ रहा, बहुत।
इस कोढ़ का, ह्रास हो।
जाति का, विनाश हो।

जातियों को परजाति में।
विलीन होना चाहिए।
नदी और समुद्र का।
मिशाल लेना चाहिए।
अधिपति होकर भी, क्यूं बनते, दास हो???
जाति का, विनाश हो।

जाति तेरी, शूद्र की।
शूद्र, स्वर्ण से बड़ा।
कर्म से, महान, फिर भी,
चरण में, पड़ा।
इसी कर्मबोध का, भरपूर ही, विकास हो।
जाति का, विनाश हो।
जाति का, विनाश हो।
बहुजन सबका, स्वामी हो।
नहीं, किसी का, दास हो।
जाति का, विनाश हो।

– अजय कुमार पाल “अनामी”

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