मुद्रीकरण नीति के खिलाफ राष्ट्रव्यापी चेतावनी दिवस मनाया गया

रेल संपत्तियों को बेचने की साजिश नहीं होगी कामयाब -जसवंत सैनी

हुसैनपुर (ਸਮਾਜ ਵੀਕਲੀ) (कौड़ा)-आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के आह्वान पर सरकार की दोषपूर्ण मुद्रीकरण की नीति के खिलाफ रेलकर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी चेतावनी दिवस मनाया। इस अवसर पर रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला मैं आयोजित सभा को संबोधित करते हुए महामंत्री श्री जसवंत सिंह सैनी ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने भारतीय रेल की संपत्तियों को बेचने की कोशिश की तो रेलकर्मचारी इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे और सभी रेल कर्मचारी हर तरह की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

चेतावनी दिवस पर आयोजित मोटरसाइकिल रैली को संबोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने सरकार की नीतियों को जमकर आड़े हाथों लिया और कहाकि जनता ने आपकी सरकार बनाई देश चलाने के लिए । सरकार को ये हक किसी नहीं नहीं दिया है कि वह मनमानी करते हुए सरकारी संपत्तियों का सौदा करते हुए कुछ उद्योगपतियों को इसका फायदा पहुंचाती रहे। महामंत्री श्री जसवंत सिंह सैनी ने कहाकि सरकार कुछ भी फैसला कर रही है, वो किसी से बात तक नहीं करती, यहां तक की सरकार के फैसले का क्या दुष्परिणाम होने वाला है, उसकी भी उसे फिक्र नहीं है। सरकार को पता है कि भारतीय रेल आज गरीब जनता के लिए यातायात का सबसे सस्ता साधन है, अगर सरकार अपनी साजिश में कामयाब हो गई तो गरीबों के लिए ट्रेन का सफर करना सपना हो जाएगा।

सच्चाई ये है कि मुद्रीकरण के नाम पर देश में बडे पैमाने पर सरकारी संपत्तियों को बेचने की साजिश की जा रही है। महामंत्री ने कहाकि रोजाना सरकार एक से एक शब्दों के मायाजाल में जैसे कि विनिवेश निगमीकरण निजी कारण और अब मुद्रीकरण सरकारी कर्मचारियों को फांसने की साजिश कर रही है। अब की बार महासेल की इस नई योजना को सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन ( एम.एम.पी ) यानि मुद्रीकरण बता रही है,। इसके जरिए देश के 13 सरकारी क्षेत्रों को निजी कंपनियों के हवाले कर 6 लाख करोड़ जुटाने में लगी है। इसमें सबसे अधिक रेल की संपत्तियों का सौदा करने की तैयारी है।

इस एनएमपी के तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन, रेलवे ट्रैक ही नहीं बल्कि भारतीय रेल के स्टेडियम, हवाई अड्डे और सड़कों तक का मुद्रीकरण शामिल है। सच्चाई ये है कि जिन संपत्तियों को सरकार दांव पर लगा रही है, उसकी सबसे बड़ी कीमत भारतीय रेल को चुकानी पड़ेगी, क्योंकि 13 संपत्तियों से कुल छह लाख करोड़ रुपये अर्जित करने की योजना प्रस्तावित है, इसमें अकेले रेलवे की परिसंपत्तियों से 1.52 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य है। इसे जुटाने के लिए 400 रेलवे स्टेशन 90 यात्री ट्रेन, 741 किलो मीटर कोंकण रेलवे, 1400 किलो मीटर रेलवे की पटरियां,15 भारतीय रेल के स्टेडियम, 265 गोदाम के अलावा कई रेलवे कालोनियों को निजी हाथों में सौंपने की बात की जा रही है।

सभा को संबोधित करते हुए वर्किंग प्रेसिडेंट तालिब मोहम्मद जी ने कहा कि सरकार का रवैया पूरी तरह कर्मचारी विरोधी है, सरकार जो कुछ भी कर रही है, उससे न रेलकर्मचारियों को कोई लाभ होने वाला है, न रेल उपभोक्ताओं को फायदा होगा और न ही इससे भारतीय रेल को ही किसी तरह का फायदा हो सकता है। आज जरूरत है कि हम सब सरकार के कारनामों को जाने और एक दूसरे को जागरूक करें। आप सब जानते अगर देश को बचाना है तो भारतीय रेल को हर हाल में बचाना ही होगा, और ये जिम्मेदारी रेलकर्मचारियों के साथ भारतीय रेल उपभोक्ताओं की भी है।

उन्हें बताया गया कि मुद्रीकरण का बहुत ही खराब असर भारतीय रेल पर पड़ने वाला है, इस मामले में कोई भी फैसला जल्दबाजी में न लिया जाए। भारतीय रेल के कर्मचारी हर वो काम करने में सक्षम है जो काम निजीक्षेत्र के लोग कर सकते है। इसलिए कोई भी निर्णय लेने के पहले रेलवे कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्र की यूनियन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फैडरेशन से जरूर बात की जाए। मोटरसाइकिल रैली का समापन शॉपिंग कंपलेक्स में किया गया जिसमें भारी संख्या में युवा साथी शामिल हुए।

 

 

 

 

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