“हम देश नहीं बिकने देंगे” के नारे के साथ भूमि अधिकार आंदोलन का ऑनलाइन सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

 

नई दिल्ली(समाज वीकली)- भूमि अधिकार आंदोलन का ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन 12.07.2020 (रविवार) को सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के जनांदोलनों के 150 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

सम्मेलन में वक्ताओं द्वारा देश के तमाम संसाधनों पर देश की आम मेहनतकश जनता के समाप्त होते अधिकार तथा उनको कॉर्पेरेट शक्तियों को सौंपने की प्रक्रिया पर भी विस्तार से चर्चा की गई। सम्मेलन के केंद्र में कोरोना महामारी संकट के दौरान देश के मजदूर मेहतनकश तबके पर पड़ा संकट और उसमें केंद्र तथा राज्य सरकारों की लापरवाही तथा मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउऩ का फायदा उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा प्रगतिशील तबके पर किए जा रहे हमलों पर मजबूत आवाज निकल कर आई। 2014 से चली आ रही वर्तमान भाजपा शासित केंद्र सरकार एक जनविरोधी सरकार हैयह काफी पहले से ही स्पष्ट हो चुका है। वैश्विक महामारी की आड़ में जब लोग विरोध के लिए सड़कों पर नहीं आ सकते हैंऐसे में सरकार द्वारा विभिन्न जनविरोधी क़ानूनों का लागू किया जाना इस तथ्य को और मजबूत ही करता है।

4 सत्रों में बंटे इस सम्मेलन में श्रम कानूनों में हो रहे संशोधन, कोरोना माहामारी की वजह से प्रवासी मजदूरों के जीवन तथा आजीविका पर आए संकट, कोयले के निजी आवंटनखेती पर होने वाले दुष्प्रभावपर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2020 और जंगल क्षेत्र में बढ़ते अन्याय सहित केंद्र सरकार के नीतियों के कारण पैदा हुए तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी। साथ ही सरकारी दमन के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने और उसकी रणनीति पर भी इस सम्मेलन में चर्चा हुई। चर्चा के दौरान सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा केंद्र सरकार इस महामारी का फायदा उठाते हुए तमाम जनविरोधी नीतियों को लागू कर रही है। महामारी की वजह से आए संकट से जनता उभारने की बजाए यह सरकार निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करते हुए तमाम सार्वजनिक संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप रही है। मैं देश नहीं बिकने दूंगा के नारे के साथ केंद्र में आई मोदी सरकार आज पूरी अर्थव्यव्यवस्था को देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हाथ बेचने की तैयारी कर रही है। ऐसे में वक्ताओं ने कहा कि हम मौजूदा केंद्र सरकार की इन मंशाओं के खिलाफ संघर्ष को बुलंद करते हुए देश नहीं बिकने देंगे। आंदोलन की आगामी कदमों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक बिंदु पर सहमति बनाई गई।

सम्मेलन में भागीदारों द्वारा सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव लिए गएः

1.       9 अगस्त को एक देशव्यापी प्रदर्शन के आयोजन के लिए देशभर के संगठनों को जोड़ा जाएगा और समन्वय के साथ इस प्रदर्शन को आयोजित किया जाएगा। “भारत बिकाऊ नहीं है” का नारा इस आंदोलन के माध्यम से दिया जाए और लोगों के बीच पहुंचाया जाएगा। जो संगठन लॉकडाउन के कारण 9 अगस्त को प्रदर्शन नहीं कर सकते हैंउनसे 10 अगस्त को अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन करने की अपील की जाती है।
2.       23 जुलाई को ब्लॉक स्तर पर एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दों को भी उठाया जाएगा।
3.       भूमि सुधार पर एक अभियान शुरू किया जाए जो भविष्य में एक आंदोलन के रूप में खुद को विकसित करने में मदद करेगा।
4.       जनता को उनके प्राकृतिक संसाधनों के लिए सरकार से रॉयल्टी की मांग करने के लिए संगठित किया जाए।  
5.       आंदोलन के स्वरूप को विकेंद्रित किया जाएऔर लोगों को हर संभव स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए संगठित किया जाए
6.       प्रकृतिक संसाधनों की इस लड़ाई में प्रभावित समुदायों के साथ देश के सभी दमित वर्गों को भी जोड़ा जाए।
7.       सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे संशोधनों का देश के तमाम जनांदोलनों द्वारा विरोध किया जाए
8.       कोरोना महामारी की वजह से प्रवासी मजदूरों के जीवन तथा आजीविका पर आए संकट को हल करने के लिए जनांदोलनों द्वारा सरकार पर दबाव बनाया जाए।
9.       संविधान का 73वां संशोधनजनांदोलनों को संघर्ष की ज़मीन मुहैया करता हैइसलिए ज़रूरी है कि यह पूरी तरह से लागू हो और आदिवासी क्षेत्र में पेसा और वन अधिकार कानून भी पूर्ण रूप से लागू किया जाए। हमें इसके लिए जनांदोनों को तेज़ कर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना होगा।  

सम्मेलन में अखिल भारतीय किसान सभा से हनन मुल्लाह, जनसंघर्षों का राष्ट्रीय समन्वय से मेधा पाटकर, सर्वहारा जन आंदोलन से उल्का महाजन, आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच से दयामनी बारला, माइन्स मिनरल एंड पीपल से अशोक श्रीमाली, अखिल भारतीय वन श्रमजीवी यूनियन से अशोक चौधरी और रोमा मलिक, जिंदाबाद संगठन से त्रिलोचन पूंजी, इंसाफ से नरेंद्र मोहंतीऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन से सत्यवान जी, अखिल भारतीय किसान महासभा से प्रेम सिंह जी, किसान संघर्ष समिति से डॉ सुनीलम और अन्य वरिष्ठ साथियों ने अपनी बात और सुझाव रखे   

भूमि अधिकार आंदोलन द्वारा जारी
ई-मेल- bhumiadhikarandolan@yahoo.comसंपर्क सूत्र- 9650015257, 9958797409

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