सेंचुरी के श्रमिकों को 6.5 महीनें के वेतन राशि से प्राप्त हुई जीत

  • ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करें सेंचुरी…
  • मिल्स चलाकर रोजगार दे या 1 रूपए में मिल्स देकर हमें चलाने दे |

औद्योगिक न्यायाधिकरण के 6 फरवरी 2019 के आदेश के बाद मात्र 2.5 महीनें की वेतन राशि दे रही थी सेंचुरी मिल्स |लेकिन 90 % श्रमिकों ने एकता बनाकर अपनी स्वतंत्र युनियन स्थापित की और उसी ‘श्रमिक जनता संघ’ की ओर से श्रमायुक्त को पत्र लिखकर शिकायत के साथ अपनी मांगें रखी|

न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार जनवरी 2018 की शिकायत अर्जी पर प्रथम पक्षकार के नाते बहुसंख्य श्रमिकों की ओर से तथा सेंचुरी की ओर से पैरवी की जाने पर दिसम्बर 2017 तक का वेतन देना था| श्रमिकों की मांग रही कि उसी आधार पर पूरे 6.5 महीनें का याने अप्रैल 2018 तक का वेतन सेंचुरी से दिलाया जाए | श्रमिकों के कानूनी और मैदानी संघर्ष से आखिर सेंचुरी मैनेजमेंट ने आज सभी श्रमिकों एवं कर्मचारियों को अप्रैल 2018 तक के वेतन एवं मार्च तक का बोनस (75,000 से 90,000 तक) का भुगतान किया जिससे श्रमिकों की एक बड़ी जीत हुई | करीबन 500 दिनों का सत्याग्रही आन्दोलन एवं 229 दिन के क्रमिक अनशन के साथ साथ न्यायाधिकरण के न्यायमूर्ति जी.एस.सोलंकी जी का फैसला तथा म.प्र. की नयी सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री तथा श्रमायुक्त का कानूनी हस्तक्षेप इस जीत का कारण हैं| सेंचुरी मैनेजमेंट को भी इस सही कदम के लिए धन्यवाद देते हुए श्रमिक एवं कर्मचारियों ने अन्य बकाया राशि जैसे कि 2012 के अनुबंध अनुसार 326 श्रमिकों के वेतन में बढ़ोत्तरी और कर्मचारियों के कटे हुए भत्ता की राशि का भी भुगतान करने की मांग को लेकर सत्याग्रह जारी रहेगा|

सबसे बढ़ा मुद्दा है सेंचुरी के डेनिम/यार्न मिल्स चलाकर 933 श्रमिक तथा 100 से अधिक कर्मचारियों के रोजगार का | 90% श्रमिक और करीबन आधे कर्मचारियों ने एकजुटता के साथ VRS याने नगद राशि लेने से इनकार करते हुए सेंचुरी मैनेजमेंट के ही प्रस्ताव के अनुसार 1 रु. में दोनों मिल्स लेकर श्रमिकों की संस्था द्वारा मिल्स चलाना चाहा हैं | लेकिन 06.02.2019 के आदेश से सेंचुरी मिल्स के गेट खोलकर श्रमिकों को प्रवेश दे एवं रोजगार उपलब्ध करें, यह जरूरी हैं | श्रमिकों की मांग हैं कि न्यायाधिकरण के आदेश का पालन सेंचुरी के करवाने का काम राज्य शासन की तरफ से औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा ३३-1-(अ) के तहत श्रमायुक्त करवाएं |

उपरोक्त स्थिति में गेट पर उपस्थित होकर आवाजी तथा कागज़ी आवेदन के साथ मांग कर रहें हैं सैकड़ों श्रमिक |सेंचुरी अगर मिल्स चलाने के पक्ष में नहीं हैं तो उन्ही के शपथ पत्रों में तथा तमाम श्रमिकों के साथ, 4 यूनीयंस के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में होती रही मुलाकातों में भी जो प्रस्ताव रखा था, उसी को स्वीकार करने वाले संगठित व बहुसंख्यक श्रमिकों को सेंचुरी ने इमानदारी से मिल्स देना जरूरी हैं |

श्रमिकों ने आज नर्मदा किनारे तथा नदी पात्र में खड़े होकर संकल्प लिया कि वे अन्य यूनियन के चन्द सदस्यों को लेकर की गयीVRS की मांग को नामंजूर कर चुके हैं और जीने के अधिकार के तहत रोजगार निर्माण तथा रोजगार पाने के लिए अपना कानूनी व मैदानी संघर्ष जारी रखेंगे|

कल 26 फरवरी के रोज औद्योगिक न्यायाधिकरण में बहुसंख्य श्रमिकों की ओर से प्रस्तुत किये दावे पर अन्य प्रथम पक्षकार याने चार युनियन्स तथा सेंचुरी से जवाबी हलफनामे पेश होने पर सुनवाई आगे बढ़ेगी |

श्रमिक जनता संघ के सदस्य बने बहुसंख्य श्रमिकों की ओर से मेधा पाटकर पैरवी करेंगी तथा युनियन की ओर से बी.एल.नागर और सेंचुरी की ओर से अधिवक्ता डिसूजा पैरवी करेंगे | जाहिर है कि 4 युनियन्स में से AITUC का पंजीयन रजिस्ट्रार की तरफ से खारिज हो चुका हैं | पिछले कुछ सालों से अन्य तीन युनियन की तरफ से कोई अधिकृत रिटर्न्स प्रस्तुत न करने से उनका अधिकार भी खारिज हुआ यही मानना जरूरी हैं |

संकल्परत सेंचुरी के श्रमिक अभूत एकता के साथ मालिक बनकर मिल्स चलाने के पक्ष में संघर्ष जारी रखेंगे|

संजय चौहान                       दुर्गेश खवसे                              सुखेन्द्र मडैया     मेधा पाटकर      

संपर्क – सौरव – 8287509616

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