सम्मानित साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की स्मृति में …

(समाज वीकली)

17 नवंबर 2020 को साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की संस्था साहित्य चेतना मंच के तत्वावधान में एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमे ओमप्रकाश वाल्मीकि की स्मृति में प्रथम ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान की शुरुआत साहित्य चेतना मंच के द्वारा की गई। ओमप्रकाश वाल्मीकि जी ने अपने समय में हिंदी साहित्य की एक ऐसी गैर-उर्वर भूमि को जोतकर उपजाऊ भूमि के रूप में तब्दील किया जो सदियों से उपेक्षित पड़ी थी। उन्होंने इस बंजर भूमि को जोत-बो कर इस पर दलित साहित्य की फसल उगाई। यह कार्य उस दौर में बहुत कठिन था। मगर ओमप्रकाश वाल्मीकि ने यह कर दिखाया। इसके साथ ही उन्होंने दलित साहित्यकारों को यह सन्देश दिया कि हमें क्या लिखना चाहिए और क्यों लिखना चाहिए। उन्होंने साहित्य को मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि एक खास मकसद के लिए लिखने की बात कही। उन्होंने “जूठन” जैसी आत्मकथा लिखी और सफाई समुदाय की ऐसी पीड़ा को साहित्य जगत के सामने रखा जिस पर अब तक कोई ध्यान नहीं दे रहा था। एक अछूते क्षेत्र से साहित्य का परिचय कराया। ये बातें बीते 17 नवंबर, 2020 को दलित लेखक व विचारक ओमप्रकाश वाल्मीकि के महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। इस मौके पर वेबिनार के दौरान दस दलित साहित्यकारों को ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान की घोषणा साहित्य चेतना मंच के अध्यक्ष नरेन्द्र वाल्मीकि ने की।

इस समारोह में उन 10 बुद्धिजीवियों को सम्मानित किया गया है, जो ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के साहित्य एवं दलित साहित्य की जानकारी रखते हैं और उस जानकारी को अपनी रचनाओं द्वारा समाज के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि ऐसे रचनाकारों के हाथों में कलम एक जलती हुई मशाल के रूप में दिखाई देती हैं। जो समाज को एक नई दशा व दिशा प्रदान करने के साथ वैचारिक समझ-बूझ स्थापित करती है। इस वर्ष साचेम द्वारा ऐसे ही इन 10 रचनाकारों के कार्यों को सलाम करते हुए सम्मानित किया। सम्मानित होने वाले साहित्यकारों में मथुरा के सज्जन क्रांति, कानपुर के देव कबीर, फैजाबाद के आर. डी. आनंद, दिल्ली की साहित्यकार डॉ. पूनम तुषामड़, डॉ. राजकुमारी, राज वाल्मीकि, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. कर्मानंद आर्य, सहारनपुर के डॉ. प्रवीन कुमार, आगरा के अरविंद भारती व नूंह (हरियाणा) के दीपक मेवाती शामिल रहे। सभी सम्मानित साहित्यकारों को ईमेल के जरिए सम्मान पत्र भेजा गया।

इससे पहले अपने संबोधन डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक विषमता और भेदभाव को उजागर करने वाली रचनाओं को रच ओमप्रकाश वाल्मीकि ने हिन्दी साहित्य में समाज के सबसे वंचित तबके को स्थापित किया। उन्होंने ‘अम्मा’ जैसी कहानी लिखी जो मैला ढोने वाली महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने दलित वर्ग के आपसी मतभेदों को भी सामने रखने के लिए ‘शवयात्रा’ जैसी कहानी भी लिखी जो उस समय बहुत चर्चित रही। हालांकि उसकी आलोचना भी बहुत हुई। डॉ. कर्दम ने आगे कहा कि ओमप्रकाश वाल्मीकि जी का रचना संसार उनका साहित्य नई पीढ़ी का उसी तरह मार्ग दर्शन करता है जिस प्रकार अंधेरे में सागर के यात्रियों को लाइट हाउस या प्रकाशस्तंभ।

विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार सुशीला टाकभौरे ने ओमप्रकाश वाल्मीकि के संस्मरण साझा किए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि से पूछा कि वे वाल्मीकि टाइटल क्यों लगाते हैं, वह तो ब्राह्मण थे। इस पर ओमप्रकाश वाल्मीकि ने कहा था कि आजकल सब जानते हैं कि वाल्मीकि कौन होते हैं। वाल्मीकि एक जाति की पहचान हो गया है और पूरे देश में वाल्मीकि जाति को लोग जानते हैं। मुझसे कोई मेरी जाति न पूछे इसलिए मैंने अपने नाम के साथ ही अपनी जाति लगा ली है। सुशीला जी ने बताया कि उन दिनों आज की तरह मोबाइल की सुविधा नहीं थी इसलिए पत्र व्यवहार होता था। उनके बहुत सारे पत्र मेरे पास हैं। उन्होंने बताया कि आज ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य को विभिन्न विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। उन्होंने आयोजकों से कहा कि वे ओमप्रकाश वाल्मीकि के समग्र साहित्य को एक जगह ग्रंथावली के रूप में संग्रहित करें।

इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकारों में देव कबीर, आर.डी. आनंद, सज्जन क्रान्ति, डॉ. पूनम तुषामड़ और डॉ. राजकुमारी ने अपनी बात संक्षेप में रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य चेतना मंच के संस्थापक धर्मपाल सिंह चंचल ने की। जे..एम. सहदेव ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए सभी व्यक्तियों का हृदयातल की गहराइयों से धन्यवाद किया और श्याम निर्मोही ने कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया।

Previous articleKBC’s in Soup for its Question on Manu Smriti Burning
Next articleJ&K may get fresh spell of rain & snow