‘सत्ता, समाज और न्याय’ विषय पर आयोजित हुई परिचर्चा-

(समाज वीकली)

‘संविधान एवं कानून चाहे कितने ही अच्छे हो, विषमता एवं भेदभाव की पोषक सत्ता के रहते सुलभ नहीं होता आमजन को न्याय’

संविधान एवं कानून चाहे कितने अच्छे क्यों ना हो, आर्थिक विषमता एवं जाति, जेंडर आधारित भेदभाव तथा धार्मिक वैमनस्य की पोषक सत्ता के रहते आमजन को न्याय सुलभ नहीं होता। बल्कि अन्याय ही बढ़ता जाता है। मौजूदा दौर में सत्ता के तेजी से निरंकुश होने से न्याय को खतरा पैदा हो गया है। इसलिए आज आमजन एवं बुद्धिजीवियों को एकजुट होकर निरंकुश सत्ता के खिलाफ साझा प्रतिरोध आंदोलन खड़ा करना होगा। ये विचार वक्ताओं ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर आज ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन’ द्वारा आज ‘सत्ता,समाज और न्याय’ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय परिचर्चा में व्यक्त किए। शिक्षा बचाओ आंदोलन के प्रदेश संयोजक डॉ रमेश बैरवा ने परिचर्चा का आयोजन ज़ूम एप से किया। परिचर्चा में शिक्षा बचाओ आंदोलन सहित जयपुर, बीकानेर, कोटा,भरतपुर, डूंगरपुर,जोधपुर, गंगानगर, बारां, धोलपुर,अलवर, उदयपुर, गंगापुर सिटी सहित प्रदेश भर से बुद्धिजीवी एवं किसान, मजदूर, छात्र-युवा, दलित, महिला, आदिवासी मंचों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में सहभागिता की।

परिचर्चा में मुख्य वक्ता राजस्थान विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध समाज वैज्ञानिक डॉ.राजीव गुप्ता ने चिंता प्रकट की कि वर्तमान में सत्ता और न्याय एक दूसरे के विपरीत हो गए हैं। जो उत्पीड़न के खिलाफ एवं अपने हक के लिए आवाज उठता है उसे सत्ता व गोदी मीडिया अर्बन नक्सल करार देता है। अपनी पसंद से शादी करने वालों को देश की एकता एवं सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ मानकर लव जिहादी का नाम देकर बदनाम एवं दंडित किया जा रहा है। जीवन स्वतंत्रता का हक छीना जा रहा है। सत्ता ने पूंजी की ताकतों से सांठगांठ कर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर दिया है। राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (रूटा) के अध्यक्ष एवं राजनीति विज्ञान के सहायक आचार्य डॉ.राहुल चौधरी ने न्याय की अवधारणा का विस्तार से बौद्धिक विवेचन प्रस्तुत किया तथा सत्ता द्वारा समाज में भेदभाव एवं नफरत को बढ़ाये जाने पर चिंता प्रकट की। दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रांतीय संयोजक एडवोकेट किशन मेघवाल ने कहा कि बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से दलित व आमजन को न्याय नहीं मिलेगा। इसके लिए न्यायपालिका में 250-300 परिवारों के वर्चस्व को खत्म करना होगा। न्यायपालिका में आरक्षण होना चाहिए।

मोब लिंचिंग के खिलाफ सक्रिय एवं किशोर न्याय बोर्ड अलवर की पूर्व सदस्य रईसा खान ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पुलिस, प्रशासन व न्यायपालिका अक्सर जन हितैषी होने का दिखावा करते हैं। पीड़ित तक के खिलाफ एफ आई आर कर दी जाती है। बाबा साहेब ने सोचा था कि अच्छा संविधान बनने एवं कानून होने से आमजन को अपना हक हासिल करने के लिए आंदोलन की शायद जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन चिंता की बात है कि 70 साल बाद भी ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए अपने हक के लिए आमजन के लिए आज आंदोलन की राह जरूरी हो गई है।

थानागाजी गैंगरेप में पीड़िता के वकील एडवोकेट रामजीवन बौद्ध ने विश्वास व्यक्त किया कि तमाम चुनौतियों के बाद भी बाबा साहेब का संविधान आज भी जिंदा है। थानागाजी गैंगरेप में पीड़िता को न्याय दिलाने में धमकियां एवं बड़े लालच भी आये फिर भी हमने पीड़ित को न्याय दिलाने के भरपूर प्रयास किये।

सफलता भी मिली। राजस्थान में दलित अधिकार आंदोलन के अगुआ एडवोकेट गोपाल वर्मा ने एस सी एस टी आयोग में राजनैतिक नियुक्तियों के कारण पीड़ितों को समय पर और समुचित न्याय नहीं मिल पाने पर चिंता जताई। पुलिस सही धाराओं में मुकदमें दर्ज नहीं करती। आज सत्ता पर पैसा हावी है और सत्ता में आने पर पैसा कमाना लक्ष्य बन जाता है। ऐसे में आमजन को न्याय मिलना मुश्किल है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सर्वेश जैन ने चिंता प्रकट की कि न्याय मिलने में अक्सर देरी होती है,मुश्किलें आती हैं,फिर भी न्याय की लड़ाई लड़ते रहना होगा।

परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा बचाओ आंदोलन के सक्रिय घटक राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश महासचिव उपेंद्र शर्मा ने कहा कि आज समाज सत्ता को तय नहीं कर रहा है बल्कि सत्ता समाज को नियंत्रित कर रही है और ऐसी निरंकुश सत्ता से न्याय की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है। आपराधिक एवं सामंती तत्व सत्ता पर काबिज हैं। आज न्यायपालिका एवं मीडिया भी निरंकुश एवं सामंती ताकतों के समर्थन में दिखता है, जो बड़ी चिंता की बात है। आज बढ़ते निजीकरण के खिलाफ एकजुट संघर्ष जरूरी हो गया है। विषय प्रवर्तन एवं संचालन डॉ. रमेश बैरवा ने किया। परिचर्चा में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रदेश सचिव डॉ सीमा जैन, पत्रकार कादंबरी,डॉ सुंदर बसवाल, डॉ संजय रॉयपुरिया, दिनेश प्रजापति, डॉ मिनेश जैन, विधि छात्र राहुल जाटव ने भी सहभागिता की।
डॉ.रमेश बैरवा
(प्रदेश संयोजक)
शिक्षा बचाओ आंदोलन राजस्थान
(8209780345)

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