मायानगरी का काला सच

(समाज वीकली)

 

– विभूति मनी त्रिपाठी 

बिहार के एक छोटे से शहर का एक लड़का, जो अपने सपने को पूरा करने के लिये मायानगरी मुम्बई का रूख करता है, अपने सपने को सच करने के लिये वो मेहनत करता है और एक दिन उसको टेलीविजन के एक धारावाहिक में काम करने का मौका मिलता है, इससे उस कलाकार के अंदर और मेहनत करने का जज्बा पैदा होता है और वो अपने सपने को सच करने के लिये और कड़ी मेहनत करना शुरू करता है अंत में उसकी मेहनत रंग लाती है और मायानगरी मुंबई में वो एक सितारे की तरह चमकने लगता है और बहुत ही कम समय में ही वो सितारा हर एक हिंदुस्तानी की आंखों का तारा बन जाता है ।

मायानगरी की दुनिया में हम सभी ये जानते हैं कि मायानगरी की जो चमक है वो सिर्फ एक छलावा है , इस चमक के पीछे एक बहुत ही काला, घना अंधकार छुपा हुआ है । आज अपने लेख के माध्यम से मैं उसी अंधकार के बारे में कुछ बातें करना चाहता हूं क्यूंकि उसी काले घने अंधकार की भेंट, हम सभी का वो सितारा चढ गया । आज मैं बिहार से ताल्लुक रखने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बारे में बात करना चाहता हूं जो कि अब हम सभी के बीच नही हैं , हम सब ये जानते हैं कि जून महीने में सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और अपनी जीवनी लीला को समाप्त कर दिया और सुशांत सिंह के आत्महत्या ने कई सारे ऐसे सवाल छोड़ दिये हैं, जिसका जवाब शायद ही अब कभी हम सभी को मिल सके । हर किसी के मन में सिर्फ एक ही सवाल है, वो ये कि, आखिर जिस इंसान के पास धन, दौलत, सोहरत किसी भी चीज की कमी नही थी, आखिर उस शख्स ने इतना दर्द भरा कदम क्यूं उठाया ???

इस सवाल का जवाब पाने के लिये हम सभी को मायानगरी के उस काले सच का सामना करना पड़ेगा, जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को मालूम है । यहां पर लेख के माध्यम से इस बात का जिक्र करना बेहद जरूरी हो गया है कि, मुंबई जिसे हम लोग बॉलीवुड भी कहते हैं, यहां पर आज की तारीख में कुछ ऐसे लोगों का कब्जा हो चुका है जो कभी नहीं चाहते हैं या जो कभी नहीं चाहेंगे कि, किसी छोटे शहर का लड़का अपने दम पर मेहनत करके उनके बराबर पहुंचे और उनको चुनौती दे । यहां पर इस बात का भी उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि मायानगरी पर किस तरीके से लंबे समय से अंडरवल्र्ड का छाया बना रहा और आज भी कहीं न कहीं मायानगरी में अंडरवल्र्ड से संबंध के किस्से सुनाई देते हैं । हालांकि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अंडरवल्र्ड का कोई हाथ है कि नही ये जांच का विषय है लेकिन ये बात अपने आप में सत्य है कि आज की तारीख में भी मायानगरी कुछ तथाकथित स्वयं सिद्ध खलीफा जैसे लोगों के चंगुल में बुरी तरह से फंस चुकी है जहां पर सुशांत सिंह राजपूत जैसे नवोदित कलाकारों के साथ कुछ भी हो सकता है।

सुशांत सिंह राजपूत के मामले में ठीक बिल्कुल बहुत कुछ ऐसा ही हुआ, सुशांत सिंह की कई सारी फिल्में एक के बाद एक हिट होती चली गयीं, माया नगरी में उनका सिक्का चलने को बेताब हो चला था, सुशांत सिंह का स्टारडम काफी हद तक बन चुका था, सुशांत सिंह हर एक सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना चुके थे और कहीं ना कहीं यह बात हमारे यहां की माया नगरी के कुछ तथाकथित खलीफा टाइप के लोगों को हजम नहीं हो रही थी ।

हमारे देश में एक बहुत पुरानी कहावत है कि, न खाएंगे और ना खाने देंगे और कुछ ऐसा ही सुशांत सिंह राजपूत के मामले में हुआ, जिसमें, ऐसे लोग जिन्होनें अपने आप को बालीवुड का खलीफा बना रखा है, उन लोगों ने एक-एक करके, धीरे-धीरे करके , इस तरीके से ऐसी परिस्थितियां बनानी शुरू कर दीं , जिससे कि सुशांत सिंह राजपूत धीरे-धीरे अकेले होते चले गये, माया नगरी में उनके पास जो काम थे वह खत्म हो गए, किसी भी बड़े प्रोडक्शन में उन्हें काम नहीं मिल रहा था और यह कहने में बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं है कि, फिल्मों में काम ना मिलने की वजह से और लोगों के द्वारा बनाई गई परिस्थितियों में सुशांत सिंह धीरे धीरे बुरी तरीके से उलझते हुये चले गये और अंततः वोे अवसाद की स्थिति में चले गए ।

एक बात हमारे यहां सच ही कही गई है कि, इंसान कितना भी परेशान क्यों ना हो अगर वो अपने घर और परिवार के साथ है या वो घर और परिवार के करीब हैं, तो वह इंसान हर एक बुरी से बुरी स्थिति का सामना कर सकता है, लेकिन सुशांत सिंह के मामले में ऐसा कुछ नहीं था, क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत के साथ उनकी महिला मित्र रिया चक्रवर्ती नाम की फिल्म अभिनेत्री रहती थीं और रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह के अवसाद की स्थिति को और बदतर स्थिति तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा और इसी का नतीजा था कि, अंत में सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी पर लटक कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया, हालांकि अब यह मामला सी बी आई के पास जा चुका है, लेकिन यहां पर जहां तक मेरा अपना व्यक्तिगत मानना है कि, जांच का परिणाम जो भी हो मुझे यह कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि, सुशांत सिंह की आत्महत्या केवल दिखने में एक प्रकार की आत्महत्या थी, लेकिन ये एक प्रकार से एक पूरी तरीके से सुनियोजित साजिश थी और उस साजिश का शिकार सुशांत सिंह राजपूत हुये ।

आज अपने लेख के माध्यम से मैं यही कहना चाहूंगा कि, माया नगरी की चमक की आड़ में आज तक जो गंदे और घिनौने काम होते आये हैं आखिर उन पर नजर रखने के लिए क्या सरकार कभी कुछ सोचंेगी क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत का मामला एक अपना, अपने में अकेला मामला नहीं है, अगर माया नगरी के इतिहास को देखा जाए तो ऐसे ही ना जाने कितने अन्य मामले हम सभी के सामने आएंगे, जिसमें ना जाने कितने चमकते हुए सितारे, ना जाने किस दुनिया में गुम हो गए, आज तक उनका कोई पता नहीं चला, ये मायानगरी ऐसी ही है जो चमकते सितारे को जितनी जल्दी उपर उठाती है, उतनी ही जल्दी गुमनामी के अंधेरे में भी झोंक देती है ।

लेख के अंत में, हमें ये कहने में बेहद अफसोस हो रहा है कि, यही हमारी मायानगरी है जहां पर ना जाने कितनी ऐसी फिल्मों का निर्माण आज तक हुआ है, जिन्होंने हमारे जीवन पर अपनी एक अमिट छाप बनाई है, उसी मायानगरी में जब इस तरह की घटनाएं होती है तो मन यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर माया नगरी की सच्चाई क्या है??? आखिर इसी माया नगरी में ऐसी परिस्थितियां क्यूं बना दी जाती हैं कि सुशांत सिंह राजपूत जैसे चमकते हुए, उभरते हुए सितारे हमेशा के लिए डूब जाते हैं ।।।

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