मजबूत नेता नहीं मजबूर सरकार चुनिए

विद्या भूषण रावत
आज स्वन्तन्त्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण आम चुनावो की शुरुआत होने जा रही है. हमें उम्मीद है देश के जन मानस आज अपनी समझदारी से बदलाव की दिशा में वोट करेंगे.
आज हमारे राष्ट्रपिता ज्योति बा फुले का जन्म दिन है और इस अवसर पर हम सभी को शुभकामनाएं देते है.
लोकतंत्र के इस पर्व पर हमें महात्मा फुले के सन्देश पर चलते हुए अपने अधिकारों का प्रयोग करना है. देश में किसान परेशान है इसलिए आज वो दिन आ गया जब किसान का कोड़ा चलना चाहिए नहीं तो ‘सेठजी-भटजी’ की जोड़ी आपके उपर शासन करती रहेगी और हमेशा ‘गुलामगिरी’ करते रहोगे.
कल के कुछ घटनाक्रम बेहद महत्वपूर्ण थे. पहले तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा के वे चाहते है के नरेन्द्र मोदी चुनाव जीते और चुनाव से पहले ये बात कहना ये भारत के अंदरूनी मामलो में हस्तक्षेप है. लेकिन अब तो साबित हो गया है के पाकिस्तान में किसकी जीत का इंतज़ार है.
दूसरे यह बात के सुप्रीम कोर्ट ने राफेल के मामले में द हिन्दू, वायर और अन्य पत्र पत्रिकाओं में छपे दस्तावेजो को स्वीकार कर लिया है. यानी कोर्ट को प्राथमिक तौर पर ये दस्तावेज सही लगे है और उसने बहस इस बात पर करना स्वीकार किया है के दस्तावेजो के आधार पर जांच होनी चाहिए. सरकार चाहती थी के मामला दस्तावेजो की ‘चोरी कैसे हुई, इस पर अटके. ये सरकार को सबसे बड़ा झटका था क्योंकि सरकार इस बात को चाहती ही नहीं थी इस इन दस्तावेजो पर बहस हो.
उसके बाद महत्वपूर्ण बात हुई है चुनाव आयोग की तरफ से जिसने अभी तक तो बहुत निराश किया है. कल के घटनाक्रम में पहली बार आयोग थोडा गंभीर दिखा और उसने न केवल नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म का प्रदर्शन रुकवा दिया अपितु नमो टीवी भी प्रतिबन्ध लगा दिया. शाम होते होते एक और महत्वपूर्ण निर्णय आ गया जिसमे आयोग ने वित्त मंत्रालय और इनकम टैक्स अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाईं है जो लगातार सरकार के विरोधियो पर छापेमारी करके जानबूझकर खबरे लीक करवा रहे थे.
ये बात साफ़ है नोट्बंदी का उद्देश्य चुनावों में विपक्ष की अर्थव्यवस्था को पुर्णतः ख़त्म करदेना था, मोदी और शाह की जोड़ी फिर वोही हथकंडे अपना रही है जहा भाजपा के पास बेइंतहा पैसा बह रहा है और उसकी कोई जांच नहीं, लेकिन विरोधियो के पास वह एक फूटी कौड़ी भी नहीं देखना चाहते. सरकारी संस्थाओं का जिस बेशर्मी से इस्तेमाल इस सरकार ने किया है वो भारत के इतिहास में किसी ने नहीं किया है. चुनाव आयोग का कार्य अभी भी बहुत मुश्किल है क्योंकि सरकार के नेताओं ने जिस तरीके से भाषण दिए है वे निंदनीय है.
जैसे अमित शाह और मोदी वायनाड को लेकर लगातार बोल रहे है. आल इंडिया मुस्लिम लीग के हरे झंडे को लेकर वे उसे पाकिस्तान का झंडा करार दे रहे है. ये शर्मनाक है क्योंकि आई यू एम् एल एक रजिस्टर्ड पार्टी है और चुनाव आयोग से उसे मान्यता मिली है. वह बहुत पुरानी पार्टी है. सारे हरे झंडे पाकिस्तानी नहीं जो जाते. भाजपा का चुनाव प्रचार उनकी हताशा का प्रतीक भी है.
प्रधानमंत्री न केवल संप्रदायीक घृणा फ़ैलाने वाले भाषण दे रहे है अपितु सेना का इस्तेमाल ही बड़ी बेशर्मी से अपनी पार्टी के वोट के लिए कर रहे है जो असंवेधानिक है. सेनाये देश की है और हम सब उनके बलिदान का सम्मान करते है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो वैसे भी सेना को मोदी की सेना कह दिया जिसके फलस्वरूप चुनाव आयोग ने उनको आगे ऐसा न कहने की सलाह दी. अब उत्तराखंड के चुनाव अधिकारी की तरफ सेस लोगो को अधिक से अधिक वोट देने के आकर्षित करने के लिए सेना का इस्तेमाल किया गया है जो बेहद ही आपत्तिजनक है. चुनाव आयोग को इस पर ध्यान देना होगा.
वैसे धर्म के नाम पर वोट मांगने के कारण चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे को चुनाव लड़ने से रोक लगा दी थी और आज मोदी, योगी, अमित शाह, और भाजपा के अन्य नेता तो रोज रोज ऐसी भाषा बोल रहे के इमानदारी से कानून लागू हो पूरी पार्टी प्रतिबंधित हो सकती है.
हम उम्मीद करते है के देश के लोग पूरे जोश और होश से वोट देंगे तथा घृणा फ़ैलाने वाली ताकतों को इन चुनावो में ध्वस्त कर देंगे ताकि देश दोबारा से पटरी पर आये और देश के सभी नागरिक आपसी प्रेम और भाई चारे के साथ रहे और किसी को भी उसके धर्म या जाति के आधार पर शोषित या जलील न किया जाए.
ज्योति बा फुले के भारत से गुलामगिरी ख़त्म करने समय आ गया है. किसान भाइयो और बहिनों उठो और अपना मतदान कर मजबूर सरकार बनाए जो आपके हितो का ध्यान रखे. देश के मज़बूत नेता नहीं मजबूर सरकार चाहिए ताके वे आपकी सुन सके. सभी को शुभकामनाएं .
विद्या भूषण रावत
११ अप्रेल २०१९
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