जालंधर : प्रसिद्ध अंबेडकरवादी चिंतक व लेखक और ऑल इंडिया समता सैनिक दल (रजि) के मुख्य मार्गदर्शक एल आर बाली ने एक प्रेस बयान में कहा कि लोकतंत्र में कानून के दायरे में रहते हुए , भारत के संविधान में लिखने , बोलने और अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की आज़ादी है. किन्तु इस आज़ादी को बड़ी निर्दयता से छीना जा रहा है. इस का उदहारण विश्व के कीर्तिमान बुद्धिजीवी, विद्वान लेखक डा . आनंद तेलतुंबड़े के विरुद्ध घड़े जा रहे एल्गर परिषद नामक आपराधिक मामले से स्पष्ट है .
श्री बाली ने कहा कि डा. तेलतुंबड़े 20 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं . उनकी रिपब्लिक ऑफ़ कास्ट (Republic of Caste ) की अनेक देशों में सराहना हुयी है. वह लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा हित समिति (Committee for protection of democratic rights) के 2016 से जनरल सेक्रेटरी हैं. डा. आनंद तेलतुंबड़े बाबासाहेब डा. अंबेडकर के पौत्र – दामाद हैं . उनको परेशान करने और आपराधिक मामलों में फंसाने से देश विदेश के अंबेडकरियों में गम्मो-गुस्से की भावना पैदा हो रही है. श्री बाली ने आगे कहा कि जिस मामले में डा. आनंद तेलतुंबड़े का नाम घसीटा जा रहा है, उस से उनका कोई सरोकार नहीं. पुलिस पड़ताल के दौरान भी यह सिद्ध हो चुका है . ऐसे में उनकी ग्रिफ्तारी अंबेडकरवादियों को दबाने व कुचलने के तौर पर देखी जाएगी.
श्री बाली ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह (सरकार) पक्षपात की निति से ऊपर उठ कर डा आनंद तेलतुंबड़े के मामले को निपटाए. एल आर बाली(मुख्य मार्गदर्शक )ऑल इंडिया समता सैनिक दल (रजि).