केंद्र सरकार की मजदूर, किसान, मेहनतकश लोग विरोधी नीतियों के विरोध में हो रही कन्वेंशन

साम्राज्यवादी हमलों के खिलाफ एकजुट संघर्ष समय की जरूरत-गुरमीत सिंह बखतूपुर

हुसैनपुर (समाज वीकली) (कौड़ा)- मोदी सरकार ने विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व व्यापार संगठन आदि के दिशा निर्देशों के तहत देश के समूह मजदूरों,किसानों, नौजवानों, कर्मचारियों, दलितों, महिलाओं आदि के हक-अधिकारों पर हमले तेज कर दिए हैं और मोदी सरकार रेलवे समेत में  समूचे सार्वजनिक क्षेत्र को दुनिया भर की बड़ी-बड़ी कार्पोरेशनो व उनके देसी दलालों अंबानी-अडानी जैसों के सुपुर्द करने पर उतारू है।

आज देश के जल-जंगल-जमीन को दुनिया भर की  बड़ी-बड़ी कार्पोरेशनें हड़प करना चाहती हैं और मोदी सरकार उनके लिए कुछ भी करने को तैयार है। जिसके खिलाफ मजदूरों, किसानों, नौजवानों, कर्मचारियों समेत देश के सभी मेहनतकश लोगों के एकजुट व विशाल संघर्ष की बेहद जरूरत है। यह बात कामरेड गुरमीत सिंह बखतूपुर, सीनियर उपप्रधान, ऐक्टू ने आरसीएफ एंप्लाइज यूनियन द्वारा वर्कर क्लब में 26 नवंबर की देशव्यापी आम हड़ताल व पंजाब किसान आंदोलन के समर्थन में और केंद्र सरकार की मजदूर, किसान, मेहनतकश लोग विरोधी नीतियों के विरोध में हो रही कन्वेंशन में कही।

साथी गुरमीत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों से देश पहले ही बहुत गहरे संकट में फंस चुका था और करोना संकट के कारण हालात बद से बदतर हो गए। परंतु मोदी सरकार करोना संकट को सुनहरी अवसर मान मजदूर वर्ग द्वारा सदियों लंबे संघर्षों से प्राप्त हक अधिकारों जैसे मिनिमम वेतन, 8 घंटे की ड्यूटी, ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार, हड़ताल करने, औरतो, मजदूरों के विशेष अधिकारों पर डाका डाल, पूंजीपतियों को “इज ऑफ डूइंग बिजनेस” के नाम पर उनके रहमो करम पर छोड़ रही है।

उन्होंने कहा कि रेलवे जो देश का सबसे बड़ा रोजगार दाता है, में नई भर्ती से इंकार कर सरकार ठेकेदारी आउटसोर्सिंग आदि को बढ़ावा देकर रेलवे को निजीकरण के लिए तैयार कर रही है उन्होंने हैरानी प्रकट की कि 1995 में रेलवे में 18 लाख कर्मचारी काम करते थे जिनकी संख्या आज लगभग 11-12 लाख रह गई है परंतु घाटा कैसे बढ़ता जा रहा है? उन्होंने कहा के घाटे के लिए कर्मचारी कहीं भी जिम्मेदार नहीं हैं दरअसल यह आंकड़ों की जादूगरी है ताकि रेलवे के निजीकरण के लिए जमीन की तैयार की जा सके उन्होंने कहा के समुच्चय सार्वजनिक क्षेत्र के लिए मैं यही कुछ कहा और दोहराया जा रहा है पंजाब राज बिजली बोर्ड के उदाहरण हमारे सामने हैं।

पंजाब में चल रहे ऐतिहासिक संघर्ष का जिक्र करते हुए कामरेड गुरमीत सिंह ने कहा कि हमेशा की तरह पंजाब के बहादुर लोगों ने देश के मेहनतकश वह संघर्ष इन लोगों को संघर्ष की राह दिखलाई है और किसान संघर्ष पूरे देश में फैल चुका है उन्होंने कहा कि कल जब 26 नवंबर को देश का समूचा मजदूर वर्ग देश भर के केंद्रीय मजदूर संगठनों की अगुवाई में आम हड़ताल करेगा तो ठीक उसी समय देश के अन्नदाता किसान दिल्ली चलो केंद्र पर डटे हुए हैं उन्होंने कहा के पहली बार ऐतिहासिक रूप में मजदूर व किसान कर्मचारी नौजवान दलित औरतें एक साथ संघर्ष के मैदान में उतरे हैं उन्होंने समय की पुकार है । हो सकता है कि सरकार किसानों का रास्ता रोकने की कोशिश करें ।उन्होंने आरसीएफ के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा ऐसे में हमें अपने घरों से बाहर निकलकर संघर्ष में हिस्सेदार बन कर अपना फर्ज निभाना होगा यही वक्त की पुकार है।

साथी सर्वजीत सिंह  महासचिव इंडियन रेलवे एम्पलाइज फेडरेशन व आरसीएफ एंप्लाइज यूनियन ने सभी बाहर से आये हुए वक्ता व RCF के साथियों का इस कनवेंशन में पहुँचने के लिए साथियों का धन्यवाद किया।

हाजरीन में साथी बचितर सिंह, जसपाल सिंह सेखों, हरविंदरपाल, नरेंद्र कुमार, एम भटनागर, सुखबीर सिंह, रणजीत सिंह, वीर प्रकाश, आरसी मीणा, अमरीक सिंह गिल, दलजीत सिंह थिंद, सोहन लाल बैठा, धर्मपाल पैंथर, सुखविंदर सिंह सुखी, अवतार सिंह, हरप्रीत सिंह, हरपाल सिंह आदि विशेष रूप में उपस्थित थे।

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