कुशीनगर में बनारसी मुशहर के हत्यारे कौन

क्या बनारसी मुशहर की ह्त्या में आरोपित रामप्रीत नट निर्दोष है ?

– विद्या भूषण रावत

(समाज वीकली)- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद के फाजिलनगर ब्लाक के कोइलसवा गाँव में पिछले वर्ष २४ मई की सुबह उस समय हडकंप मच गया जब गाँव वालो ने दो व्यक्तियों को सड़क की दो तरफ गिरा पाया. एक व्यक्ति में थोड़ा बहुत सांस चल रही थी जबकि दूसरे का सर धड से अलग कर दिया गया था और आँखे भी फोड़ डाली गयी थी. पहचान करने पर मृतक व्यक्ति का नाम बनारसी मुशहर था और वह कोइलसवा गाँव के निवासी थे और घायल व्यक्ति का नाम रामप्रीत नट है. दोनों व्यक्ति पारिवारिक मित्र थे और शाम को बनारसी के घर से राज कुमार जायसवाल के खेत की ओर जा रहे थे जहा वह सीरमाई करते थे. सीरमाई एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट लेबर है. बनारसी रात को १० एकड़ की उस जमीन की देखभाल करते थे और उसे कृषि योग्य बना चुके थे और इसके एवज में उन्हें एक एकड़ जमीन पर ‘अपने’ लिए खेती करने की अनुमति दी गयी थी.

सुबह करीब ८ बजे गाँव प्रधान केशव यादव ने तुरंत पुलिस बुलाई और शव का पंचनामा करवा पुलिस उसे पोस्टमॉर्टेम के लिए ले गयी. रामप्रीत नट बुरी तरह से घायल थे और इसलिए उन्हें गोरखपुर मेडिकल कालेज में भर्ती करवा दिया गया. बाद में पुलिस ने ऍफ़ आई आर दर्ज कर कार्यवाही कर दी और तुरंत ही इस नतीजे पर पहुँच गयी के राम प्रीत और बनारसी ने शाम को ताड़ी पी और किसी बात पर उनके बीच कहा सुनी हुई जिसके चलते उनमे भयंकर हाथापाई हुई जिसमे बनारसी मारे गए और रामप्रीत घायल हो गए. रामप्रीत का इलाज बहुत दिनों तक चला. उसके दिमाग पर चोट है जो गंभीर है.

कोइलसवा गाँव के मुशहर बस्ती के लोगो ने मुझे बताया के कोरोना के समय करीब १० जीप भर कर गाँव के लोग जिला मुख्यालय में जा रहे थे के पुलिस ने उन्हें रोक दिया और फिर उनसे एक मांगपत्र पत्रपेटिका में डलवाकर उन्हें वापस भेज दिया. गाँव के गरज मंडल का कहना था के पुलिस ने उनका साथ नहीं दिया और वह ग्राम प्रधान केशव यादव के कहे अनुसार ही काम कर रही थी. गाँव की ही कुंती देवी ने कहा के मीडिया ने भी गलत खबरों को प्रचारित करके निर्दोष को जेल भेज दिया और असली गुनाहगारो को बचा रही है.

बनारसी मुशहर की पत्नी श्रीमती राजमती देवी कहती है रामप्रीत नट उनका पति के दोस्त थे और दोनों एक साथ ही घर से निकले थे. वह अपने परिवार के साथ ही इसी गाँव में रहते थे. आखिर वो ऐसा क्यों करेंगे ? बनारसी के पुत्र कहते है के उनके पिता रामप्रीत से ज्यादा हट्टे कट्टे थे और यदि दोनों में कोई लड़ाई होती तो उनके पिता आराम से रामप्रीत को पीट सकते थे. उनका यह भी कहना था के यदि दोनों ने ताड़ी पीकर आपस में लड़ाई की होती तो स्कूल के पास सड़क में आके ये काम नहीं करते क्योंकि वह कार्य उस स्थान पर भी हो सकता था जहा बनारसी मुशहर सीरमाई करते थे.

राजमती देवी का कहना है के उनके पति ने लगभग ७ साल राशन की दूकान ( कोटे की दुकान ) चलाई जिससे यहाँ के बड़े लोग बहुत नाराज रहते थे. गाँव के वर्तमान प्रधान केशव यादव ने उनके कोटे की दूकान के खिलाफ अभियान चलाया और अंत में अपने जमीन गिरवी रख कर भी बनारसी ने लड़ाई लड़ी लेकिन वह हार गए. अब वो दुकान एक यादव बिरादरी के व्यक्ति के पास है. मुशहर व्यक्ति का कोटे की दूकान रखना बड़ी जातियों को स्वीकार्य नहीं था. बनारसी मुशहर बहुत खुद्दार थे और केस हारने के बाद उन्होंने फिर से गाँव के ही राज कुमार जायसवाल के यहाँ सीरमाई पर खेत लिया. वह १० एकड़ के उनके प्लाट की देख रेख करते और एक एकड़ पर खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करते.

श्रीमती राजमती देवी कहती है के उन्हें बेहद अफ़सोस है के राजकुमार जायसवाल ने उनके पति की ह्त्या के बाद से उनके परिवार से बात तक नहीं की. आज वे सभी उस जमीन तक नहीं जा सकते जो बनारसी मुशहर ने बड़ी मेहनत से कृषि योग्य बनाई और उनके बोये हुए पौधे और पेड़ बन चुके है . भारतीय वर्णवादी जातिवादी व्यवस्था का इससे बड़ा नमूना क्या हो सकता है के जिसकी जमीन को हरा किया वही समय आने पर चुप है और अपने यहाँ काम कर रहे व्यक्ति के परिवार को किसी भी प्रकार की मदद करने से इनकार कर दे ?

रामप्रीत नट की पत्नी कमलावती बीमार है. उसकी एक किडनी निकाल दी गयी है क्योंकि वह ख़राब हो चुकी थी. उनके परिवार में छोटे बच्चे है. रामप्रीत के परिवार में अधिकांश लोग मूक बधिर है और उनके पिता भीख मांगकर ही अपनी पुत्रबधू और बच्चो को बाल रहे है. मूलतः वह बिहार के गोपालगंज जिले के कौलाचक गाव के निवासी है. परिवार बिलकुल भूमिहीन है और बच्चे खाने खाने को मोहताज है. कमलावती कहती है के उनके पति के किसी से दुश्मनी नहीं थी. उनके पास न जमीन थी न सम्पति. वह आगे कहते है के हम परिवार के साथ रह रहे थे इसलिए वो क्यों ऐसा काम करेंगे. वह कहती है के रामप्रीत को तो बनारसी के साथ रहने की सजा मिली है. शायद बनारसी के दुशमन जब उन्हें मार रहे होंगे, तभी इन्हें साथ देखकर रामप्रीत पर भी हमला किया गया ताकि सभी सबूत मिट जाए.

बनारसी मुशहर और रामप्रीत नट के परिवार साथ साथ है और न्याय की गुहार लगा रहे है. दोनों का दर्द बहुत बड़ा है. मुशहर और नट दोनों ही हासिये का समाज है. दोनों सामंतवादी, जातिवादी शक्तियों का शिकार बने है. इस घटना पर मैंने दोनों परिवारों और मुशहर समाज के लोगो के साथ बातचीत के आधार पर एक फिल्म बनाई है ; ‘ बनारसी मुशहर के हत्यारे कौन” जिसका लिंक यहाँ दिया जा रहा है. यदि आपके पास समाज के सबसे हासियो के लोगो की बातो को सुनने का धैर्य है तो इसे जरुर देखे और समाज के सबसे वंचित समुदायों के साथ खड़े हो ताके उन्हें न्याय मिल सके.

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