किसान मज़दूर मुलाजिम संघर्ष कमेटी की तरफ से विशाल धरना प्रदर्शन

कैपशन-किसान मज़दूर मुलाजिम संघर्ष कमेटी की तरफ से विशाल धरना प्रदर्शन के विभिन्न दृश्य

किसी भी कीमत पर वापस कराएंगे किसान विरोधी क़ानून- मनजीत सिंह धनेर

दोआबा की इस धरती पर किसान, मज़दूर, मुलाज़िमो का संघर्ष, नया इतिहास सिरजेगा-मोहन बल

हुसैनपुर (समाज वीकली) (कौड़ा)-  केन्द्र की हिटलरशाही मोदी सरकार द्वारा देश के अन्नदाता किसानों की आय बढ़ाने, फसल सुरक्षा आदि के नाम पर जून 2020 में लागू किए तिन कृषि क़ानून के विरोध में किसान मजदूर मुलाजिम संघर्ष कमेटी की तरफ से आरसीएफ हाल्ट गेट पर धरना प्रदर्शन किया गया।

धरने को सम्बोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के मंजीत सिंह धनेर ने कहा कि मोदी सरकार आई.एम.एफ., वल्र्ड बैंक आदि के इशारों पर देश के सार्वजनिक क्षेत्र सहित मज़दूरों, मुलाजमों, छोटे बिजनेस व नौजवानों को बर्बाद करने के बाद अब देश के अन्नदाता किसानों को बर्बाद कर उनसे उनकी जमीनें छीन कर अडानी, अंबानी, टाटा/बिड़ला आदि देशी-विदेशी सरमायेदारों के हवाले करने की घटिया साजिशें कर रहे हैं।

धनेर ने कहा कि कृषि विरोधी कानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब की धरती से बुलंद हुई आवाज पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैल चुकी है, जिसके चलते अपने फैसलों से 1 इंच भी पीछे न हटने पर अडिग मोदी सरकार अन्दर तक हिल चुकी है। उन्होंने कहा कि पंजाब की जवानी, किसानी को बचाने के लिए सभी को एकजुट करते हुए बुलंद हुआ ये संघर्ष जीत की राह पर है व हम तबतक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक इन नीतियों को वापिस नहीं करवा दें।

कश्मीर खुगशोर, सरवण सिंह बाऊपुर, गुरमीत सिंह बख्तूपुरा, तारी बिहारीपुर, रोशनखेड़ा आदि वक्ताओं ने कहा कि पंजाब के इन संघर्षों ने ये साबित कर दिया है कि गुरु गोबिंद सिंह व बंदा सिंह बहादुर के वारिसों को ख़त्म नहीं किया जा सकता पंजाब के लोग अभी जागृत हैं व 26 नवम्बर को मोदी को बता देंगे की 135 करोड लोगों का पेट भरने वाले अन्नदाताओं को ख़त्म करने की साजिश की जाएगी तो जनता केन्द्र को कैसे ल सबक सिखाएगी।

भारतीय किसान यूनियन उगराहां के मोहन सिंह बल ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों का बुरा प्रभाव केवल किसानों पर ही नहीं उन मज़दूर, मुलाजिमों व सभी मेहनतकश लोगों पर हो रहा है जो रोजाना मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है बल ने कहा कि दोआबा की इस धरती पर आरसीएफ इम्प्लाइज यूनियन की तरफ से “किसान मजदूर मुलाजम संयुक्त संघर्ष” की रखी नींव नया इतिहास रचेगी।

आर.सी.एफ एससी/एसटी इम्प्लाइज एसोसिएशन, ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन एवं अन्य रिजर्व्ड इंप्लाइज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि मोदी सरकार जैसे देश के सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण कर रही है ठीक उसी तरह खेती क्षेत्र को अडानी, अंबानी जैसे शरमायेदारों को देना चाहती है। बोलेरो ने कहा कि मोदी को निजीकरण का इतना ही शौक है तो वे पार्लिमेन्ट का निजीकरण करें।

आर.सी.एफ इम्प्लाइज यूनियन के जनरल सेक्रेटरी सरदार सर्वजीत सिंह ने कहा कि बेशरम मोदी सरकार कहती है की सरकारी नौकरी नहीं तो पकौड़ा तलना, समोसा बनाना आदि रोज़गार हैं। सिंह ने कहा कि अगर पकोड़ा तौलना रोज़गार है तो एमपी/एमएलए अपने बच्चों को पकोड़ा तलने की दुकानें कराकर दिखाएं। सिंह ने कहा कि अगर देश का नौजवान अपनी आय पर आ गया तो मोदी की हलक से रोज़गार निकाल लेगा।

सरबजीत सिंह ने कहा कि पंजाब की समस्त किसान संगठनों के साथ और शिव की समस्त संगठन /एसोसिएशन संयुक्त संघर्ष करेंगे व हिटलरशाही मोदी की नींद हराम कर रख देंगे। उन्होंने कहा कि दोआबा की धरती से लहराया यह परचम दिल्ली तक गूंज करेगा। सरबजीत सिंह ने आज के धरने में शामिल हुए सभी संगठनों, ग्राम पंचायतों, यूनियनों, एसोसिएशनों के साथ- साथ चाय, पानी, लंगर की सेवा कर रहे गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व मंदिर प्रबंधक कमेटी की तहे दिल से धन्यवाद किया।

धरने में शहीद भगत सिंह विचार मंच की कल्चरल टीम ने “हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेगे” पर कोरियोग्राफी व बंदा सिंह बहादर पर लिखी कविशरी की पेशकारी कर संघर्ष का झंडा बुलंद करने का संदेश दिया।
स्टेट सेक्रेटरी की जिम्मेवारी सुरजीत सिंह टिब्बा व तलविंदर सिंह ने निभाई।

ਤੇਰੀ ਖਾਤਰ ਦਿੱਲੀਏ ਨੀ…

आज के इस विशाल धरना प्रदर्शन में सरपंच महेन्द्र सिंह रावल, राजविंदर सिंह सैदो भुलाणा, बलविंदर कुमार हुसैनपुर, रणजीत सिंह सैदोवाल, जगजीत सिंह ढुड्डियांवाल, रणजीत सिंह कोठे काला सिंह, हरभजन सिंह कोठे जेतासिंह, गुरबिंदर सिंह थेहवाला, सरबजीत सिंह बुलपुर, लखविंदर सिंह सैदपुर, रशपाल सिंह भाणोंलंगा, लखविंदर सिंह डोंगावाड़ा, रेशमसिंह बिधिपुर, जसविंदर सिंह मंगा रोड़ा, सतनाम सिंह गोसल, सुच्चासिंह बाणवाला गांवो के सरपंचों की अगुवाई में सैकड़ो मज़दूर, किसानों, मुलाज़मो सहित रेल कोच फैक्ट्री की समस्त कर्मचारी संगठनों ने शिरकत की।

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