कविता – मेरा घर ….

 

मेरा घर…
जहाँ दरवाजे बंद है,
बाहर की हवा अंदर नही आती, अंदर की हवा बाहर नाही जाती।

मेरा घर..
जहाँ बात नही होती,
बस होता है…
चिखना-चिल्लना,
गाली-गेलोच और मार-पीट!

मेरा घर…
जहाँ बताये हुये आदेशों पर चालना पडता है,
हुक्म को मानना पडता है!

मेरा घर …
जहाँ एक ही की आवाज होती है,
और दुसरें के तो सांसो की आहटें!

मेरा घर ….
वैसे तो देखने मैं हर चीज अपनी जागह पर है, पर …
वहा के लोग घर मे रहना पसंद ही नाही करते!

मेरा घर..
वहा मेरी सांसे रुक जाती है,
दिल की धडकन तेज हो जाती है,
मन भारी होने लागता है।
वह कहता है …
“निकल यहाँ से …
कहीं और चाली जा !
… नही तो यहाँ साँसे फुल जायेगी!”

सोचती हुँ…
चली ही जाऊँ घर छोड़कर!
वैसे तो कहने को मेरा वहां कुछ भी नही है…
… सिवाय जमाणे के रिवाज के!

-हेमांगी

Previous articleਪਟਿਆਲਾ ’ਚ ਕਰੋਨਾ ਨਾਲ ਇਕ ਹੋਰ ਮੌਤ
Next articleTop militant Riyaz Naikoo, associate killed, bravehearts avenged